मत रौंदों बचपन को - बाल श्रमिकों के दर्द को बयाँ करती ये कविता | Poem on the pain of child labour

बाल श्रमिक सहमा-सहमा-सा चेहरा है, धुँधला-धुँधला-सा बचपन है! वो चन्दू थक जाता होगा, सारा दिन सर पे बोझ उठाता होगा, मेरा जीवन कब बन पाएगा? ऐसा...

सब ग्रह गाते, पृथ्वी रोती - हरिवंशराय बच्चन | Sab Grah Gate, Prithvi Rotee - Harivansh Rai Bachchan

कविता, हिंदी कविता, हिंदी में कविता,  poems in hindi, Hindi poems के लिए हमें सब्सक्राइब करें। सब ग्रह गाते, पृथ्वी रोती। ग्रह-ग्रह पर लहरात...

यक्ष के प्रश्न - अटलबिहारी वाजपेयी | Yaksha Ke Prashan - Atalbihari Vajpayee

यक्ष  जो कल थे, वे आज नहीं हैं। जो आज हैं, वे कल नहीं होंगे। होने, न होने का क्रम, इसी तरह चलता रहेगा, हम हैं, हम रहेंगे, यह भ्रम भी सदा पलत...
Powered by Blogger.